माननीय प्रशासनिक न्यायाधीश
माननीय श्री न्यायाधीश राकेश थपलियाल
माननीय श्री न्यायाधीश राकेश थपलियाल का जन्म १५ नवंबर, १९६५ को जिला टिहरी गढ़वाल में स्वर्गीय श्री चंडी प्रसाद थपलियाल, जोकि १९८० में जी०आई०सी० जोशीमठ से सहायक अध्यापक (शारीरिक शिक्षा) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और श्रीमती कमला देवी, स्वर्गीय श्री जनार्दन प्रसाद जोशी की बेटी, जोकि जिला न्यायालय, चमोली में वकील थे के परिवार में हुआ। माननीय न्यायाधीश महोदय ग्राम खात्स्यूं श्रीकोट, पट्टी पैडुल्स्यूं, जिला पौडी गढ़वाल से ताल्लुक रखते हैं। माननीय न्यायाधीश महोदय की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर श्रीनगर गढ़वाल से, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट राजकीय इंटर कॉलेज से, बी.एस.सी.स्नातक गढ़वाल विश्वविद्यालय से एवं एल.एल.बी.स्नातक की उपाधि इलाहबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की
माननीय श्री न्यायाधीश महोदय ने १९ मार्च १९८९ को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में नामांकन किय एवं बहनोई स्वर्गीय श्री सुशील चंद्र ममगाईं के मार्गदर्शन में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत का अभ्यास प्रारम्भ किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में, वह विभिन्न विभागों के लिए स्थायी अधिवक्ता रहे। ०९ नवम्बर २००० को उत्तराखंड राज्य के गठन के पश्चात माननीय न्यायाधीश महोदय माह जून २०२१ में स्थायी रूप से नैनीताल में स्थानांतरित हो गये।
माननीय न्यायाधीश महोदय विभिन्न संगठनों, निगमों और स्वायत्त निकायों के लिए स्थायी अधिक्ता रहे। माननीय न्यायाधीश महोदय ने संवैधानिक, सेवा और फौजदारी मामलों में वकालत का अभ्यास किया। वर्ष २००२-२००३ में, माननीय न्यायाधीश महोदय केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता के रूप में नियुक्त रहे। माननीय न्यायाधीश महोदय वर्ष २०११ में उत्तराखंड राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त रहे। १६.०७.२०१४ को, माननीय न्यायाधीश महोदय को भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया और वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति तक इस पद पर बने रहे। १९ जुलाइ २०१९ को माननीय न्यायाधीश महोदय को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।
माननीय न्यायाधीश महोदय को अधिसूचना संख्या के-१३०३२/०३/२०२२-यू०एस०.आइ० दिनांक २७ अप्रैल, २०२३ के तहत उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और माननीय न्यायाधीश महोदय ने २८ अप्रैल, २०२३ को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।