न्यायालय के बारे में
उत्तराखंड राज्य में उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में जिला न्यायालयों और कुछ तहसील मुख्यालयों में बाह्य न्यायालयों की स्थापना उस जिले में मामलों की संख्या, स्थान की स्थलाकृति और जिले में जनसंख्या वितरण को ध्यान में रख कर की गयी है। जिला स्तर पर न्यायालयों की त्रिस्तरीय प्रणालियाँ कार्यरत हैं। यह जिला न्यायालय, राज्य के उच्च न्यायालय के प्रशासनिक और पर्यवेक्षण नियंत्रण के तहत उत्तराखंड राज्य में विभिन्न स्तरों पर न्याय-निर्णयन का कार्य करते हैं।
प्रत्येक जिले में सर्वोच्च न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश का होता है। यह दीवानी और फौजदारी क्षेत्राधिकार का प्रधान न्यायालय है। जो मुख्य रूप से बंगाल, आगरा और असम सिविल न्यायालय अधिनियम, १९८७ से राज्य के अन्य सिविल न्यायालयों की तरह दीवानी मामलों में अपना क्षेत्राधिकार प्राप्त करता है। यह एक सत्र न्यायालय और विशेष सत्र न्यायालय भी है, सत्र और विशेष सत्र के मामलों का विचारण इस न्यायालय द्वारा किया जाता है। इसके अलावा जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय के अतिरिक्त राज्य के कुछ जिलों में अतिरिक्त/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीशों के न्यायालय भी जिले में मामलों की संख्या, स्थान की स्थलाकृति और जनसंख्या वितरण के आधार पर स्थापित[...]
- जजशिप चमोली में 31 जुलाई 2024 की तिथि तक लक्षित मामलों की सूची (एपीएएआर-डीजे)
- जजशिप चमोली में 31 मई 2024 की तिथि तक तलक्षित मामलों की सूची (एपीएएआर-डीजे)
- दिनांक १०.०१.२०२२ को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या ९३२२ वर्ष २०२२ में एफ०ए०एफ०ओ० संख्या ३३०३ वर्ष २०१८ “गोहर मोहम्मद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम एवं अन्य” में पारित निर्णय
- दिनांक १०.०१.२०२२ को भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सिविल) संख्या ०३ वर्ष २०२० में प्रकीर्ण प्रार्थनापत्र संख्या ६६५ वर्ष २०२१ में प्रकीर्ण प्रार्थनापत्र संख्या २१ वर्ष २०२२ में”परिसीमा के विस्तार के लिए पुनः संज्ञान” के रूप में पारित आदेश
- दिनांक २३.०९.२०२१ को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सिविल) संख्या ०३ वर्ष २०२० में प्रकीर्ण प्रार्थनापत्र संख्या ६६५ वर्ष २०२१ में “परिसीमा के विस्तार के लिए पुनः संज्ञान” में पारित आदेश
- दिनांक २७.०४.२०२१ को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सिविल) संख्या ०३ वर्ष २०२० में “परिसीमा के विस्तार के लिए पुनः संज्ञान” में पारित आदेश
- फौजदारी अपील संख्या ७३० वर्ष २०२० “रजनेश बनाम नेहा और अन्य” में दिनांक ०४.११.२०२० को भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय
- दिनांक १०.०७.२०२० को भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान रिट याचिका (सिविल) संख्या ०३ वर्ष २०२० में “परिसीमा के विस्तार के लिए पुनः संज्ञान” में पारित आदेश
दिखाने के लिए कोई पोस्ट नहीं
ई-कोर्ट सेवाएं
वाद की स्थिति
वाद की स्थिति
न्यायालय के आदेश
न्यायालय के आदेश
वाद सूची
वाद सूची
केविएट खोज
केविएट खोज
नवीनतम घोषणाएं
- जजशिप चमोली में विभिन्न न्यायालयों में लम्बित दीवानी एवं फौजदारी वादों का दिनांक ३१.१०.२०२४ की स्थितिनुसार विवरण (माह अक्टूबर – २०२४)
- किशोर न्याय बोर्ड, चमोली में लम्बित दीवानी एवं फौजदारी वादों का दिनांक ३१.१०.२०२४ की स्थितिनुसार विवरण (माह अक्टूबर – २०२४)
- कुटुम्ब न्यायालय, चमोली में लम्बित दीवानी एवं फौजदारी वादों का दिनांक ३१.१०.२०२४ की स्थितिनुसार विवरण (माह अक्टूबर – २०२४)
- कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम, १९८४ [१९८४ का अधिनियम संख्यांक ६६] (हिन्दी)
- कुटुम्ब न्यायालय अधिनियम, १९८४ [१९८४ का अधिनियम संख्यांक ६६] (अंग्रेजी)
- किशोर न्याय बोर्ड, चमोली में लम्बित दीवानी एवं फौजदारी वादों का दिनांक ३०.०९.२०२४ की स्थितिनुसार विवरण (माह सितम्बर – २०२४)
- कुटुम्ब न्यायालय, चमोली में लम्बित दीवानी एवं फौजदारी वादों का दिनांक ३०.०९.२०२४ की स्थितिनुसार विवरण (माह सितम्बर – २०२४)
- जजशिप चमोली में विभिन्न न्यायालयों में लम्बित दीवानी एवं फौजदारी वादों का दिनांक ३०.०९.२०२४ की स्थितिनुसार विवरण (माह सितम्बर – २०२४)