जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली
उत्तराखण्ड राज्य ने सभी १३ जिलों में निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने, लोक अदालतों का आयोजन करने, विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन करने और न्याय प्राप्त करने के अवसरों को सुरक्षित करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी नागरिक को खराब आर्थिक स्थिति व अन्य अक्षमताओं के कारण अथवा प्रदत्त कोई अन्य कार्य करने से अथवा अधिनियम के अधीन जिला प्राधिकरण को प्रदत्त या कि कारण से न्याय और मौलिक अधिकार प्राप्त करने के अवसरों से वंचित नहीं किया जाए, हेतु विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, १९८७ की धारा ९ के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन किया है। जिला प्राधिकरण जिला न्यायाधीश की प्रत्यक्ष निगरानी में है जो पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है और पद के आधार पर नियुक्त किया जाता है। राज्य प्राधिकरण, जिला प्राधिकरण के अध्यक्ष के परामर्श से, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) या उसकी अनुपस्थिति में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जैसा भी मामला हो, के संवर्ग से संबंधित अधिकारी को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के रूप में नियुक्त करता है।
दूरभाष सं०:- ०१३७२-२५१५२९
ई-मेल पता- dlsa[dot]chamoli[at]gmail[dot]com
कार्यालय पता- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली
जिला न्यायालय परिषर, चमोली-गोपेश्वर
जिला चमोली, उत्तराखण्ड (पिनकोड-२४६४०१)
पदनाम | अधिकारी का नाम |
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अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली |
श्री धर्म सिंह (जिला एवं सत्र न्यायाधीश, चमोली) |
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली |
श्री पुनीत कुमार (सीनियर सिविल जज) |
पदेन-सदस्य, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली |
१. जिलाधिकारी. २. पुलिस अधीक्षक. ३. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सीनियर सिविल जज. ४. जिला शासकीय अधिवक्ता (डी.जी.सी. सिविल). ५. जिला शासकीय अधिवक्ता (डी.जी.सी. फौजदारी). ६. जिला शासकीय अधिवक्ता (डी.जी.सी. राजस्व). ७. अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन. |
तालुका / तहसील विधिक सेवा समिति
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, १९८७ की धारा ११-क के अन्तर्गत, राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से नामांकित अन्य सदस्यों की संख्या को शामिल करते हुए, राज्य में निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना, लोक अदालतों का आयोजन करना, तहसील स्तर पर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित करना और ऐसे अन्य कार्य करना जो जिला प्राधिकरण, अधिनियम के तहत उसे सौंपते हैं हेतु तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है। तहसील समिति, समिति के अध्यक्ष और जिला प्राधिकरण के सीधे पर्यवेक्षण और निर्देशों के तहत कार्य करती है। तहसील में तैनात एक कनिष्ठतम न्यायिक अधिकारी समिति के सचिव के रूप में कार्य करता है। यदि ऐसा कोई न्यायिक अधिकारी तैनात नहीं है या केवल एक न्यायिक अधिकारी तैनात है, तो संबंधित तहसील का तहसीलदार अपने कर्तव्यों के अलावा समिति के सचिव के रूप में कार्य करता है।
विधिक सेवा हेतु पात्रता
विधिक सेवाएँ प्रदान करने हेतु मानक:-
प्रत्येक व्यक्ति जिसे कोई नया मुकदमा दायर करना है या उसका बचाव करना है, वह राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तहसील विधिक सेवा समिति, जैसा भी मामला हो, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, १९८७ की धारा-१२ एवं उत्तरांचल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नियमावली, २००६ की धारा-१६ के अन्तर्गत निःशुल्क कानूनी सेवाएं पाने का हकदार होगा। यदि वह व्यक्ति है-
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एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य;
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संविधान के अनुच्छेद २३ में वर्णित मानव दुर्व्यवहार/बेगार क शिकार एक व्यक्ति;
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एक महिला अथवा बच्चा;
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दिव्यांग अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ एक व्यक्ति;
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सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप या औद्योगिक आपदा का शिकार याकि अवांछित अनचाही जैसी आपदाओं का शिकार हुआ एक व्यक्ति;
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एक औद्योगिक कर्मकार;
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हिरासत में, जिसमें कारागार/जेल, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, १९५६ की धारा २ के खंड (जी) के अर्थ में एक सुरक्षात्मक गृह में हिरासत या किशोर न्याय अधिनियम, १९८६ की धारा २ के खंड (आइ) के अर्थ में एक किशोर गृह में हिरासत या मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, १९८७ की धारा २ के खंड (जी) के अर्थ में मनोरोग अस्पताल अथवा मनोरोग नर्सिंग होम (परिचर्या गृह) में हिरासत शामिल है में निरुद्ध व्यक्ति;
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ऐसा व्यक्ति, जिसकी सभी स्रोतों से वार्षिक आय ३,००,०००/- रुपये से कम या ऐसी अन्य उच्च राशि जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती है, प्राप्त करता है, यदि मामला सर्वोच्च न्यायालय के अलावा किसी अन्य अदालत में है;
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भूतपूर्व सैनिक;
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ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्ति;
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वरिष्ठ नागरिक;
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एचआईवी/एड्स संक्रमित व्यक्ति;
नोट: क्रम संख्या (viii) को छोड़कर, क्रम संख्या (i) से (xi) में उल्लिखित व्यक्तियों के लिए कोई आय सीमा नहीं है।