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    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली

    प्रकाशित तिथि: June 27, 2023

    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोलीउत्तराखण्ड राज्य ने सभी १३ जिलों में निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने, लोक अदालतों का आयोजन करने, विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन करने और न्याय प्राप्त करने के अवसरों को सुरक्षित करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी नागरिक को खराब आर्थिक स्थिति व अन्य अक्षमताओं के कारण अथवा प्रदत्त कोई अन्य कार्य करने से अथवा अधिनियम के अधीन जिला प्राधिकरण को प्रदत्त या कि कारण से न्याय और मौलिक अधिकार प्राप्त करने के अवसरों से वंचित नहीं किया जाए, हेतु विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, १९८७ की धारा ९ के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन किया है। जिला प्राधिकरण जिला न्यायाधीश की प्रत्यक्ष निगरानी में है जो पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है और पद के आधार पर नियुक्त किया जाता है। राज्य प्राधिकरण, जिला प्राधिकरण के अध्यक्ष के परामर्श से, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) या उसकी अनुपस्थिति में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जैसा भी मामला हो, के संवर्ग से संबंधित अधिकारी को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव के रूप में नियुक्त करता है।

    दूरभाष सं०:- ०१३७२-२५१५२९

    ई-मेल पता- dlsa[dot]chamoli[at]gmail[dot]com

    कार्यालय पता- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली

    जिला न्यायालय परिषर, चमोली-गोपेश्वर

    जिला चमोली, उत्तराखण्ड (पिनकोड-२४६४०१)

    पदनाम अधिकारी का नाम
    अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली

    श्री बिंध्याचल सिंह

    (जिला एवं सत्र न्यायाधीश, चमोली)

    सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली

    श्री पुनीत कुमार

    (सिविल जज(सी० डि०)/सचिव)

    पदेन-सदस्य, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, चमोली

    १. जिलाधिकारी.

    २. पुलिस अधीक्षक.

    ३. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सीनियर सिविल जज.

    ४. जिला शासकीय अधिवक्ता (डी.जी.सी. सिविल).

    ५. जिला शासकीय अधिवक्ता (डी.जी.सी. फौजदारी).

    ६. जिला शासकीय अधिवक्ता (डी.जी.सी. राजस्व).

    ७. अध्यक्ष, जिला बार एसोसिएशन.

    तालुका / तहसील विधिक सेवा समिति

    विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, १९८७ की धारा ११-क के अन्तर्गत, राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से नामांकित अन्य सदस्यों की संख्या को शामिल करते हुए, राज्य में निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना, लोक अदालतों का आयोजन करना, तहसील स्तर पर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित करना और ऐसे अन्य कार्य करना जो जिला प्राधिकरण, अधिनियम के तहत उसे सौंपते हैं हेतु तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है। तहसील समिति, समिति के अध्यक्ष और जिला प्राधिकरण के सीधे पर्यवेक्षण और निर्देशों के तहत कार्य करती है। तहसील में तैनात एक कनिष्ठतम न्यायिक अधिकारी समिति के सचिव के रूप में कार्य करता है। यदि ऐसा कोई न्यायिक अधिकारी तैनात नहीं है या केवल एक न्यायिक अधिकारी तैनात है, तो संबंधित तहसील का तहसीलदार अपने कर्तव्यों के अलावा समिति के सचिव के रूप में कार्य करता है।

    विधिक सेवा हेतु पात्रता

    विधिक सेवाएँ प्रदान करने हेतु मानक:-

    प्रत्येक व्यक्ति जिसे कोई नया मुकदमा दायर करना है या उसका बचाव करना है, वह राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तहसील विधिक सेवा समिति, जैसा भी मामला हो, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, १९८७ की धारा-१२ एवं उत्तरांचल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नियमावली, २००६ की धारा-१६ के अन्तर्गत निःशुल्क कानूनी सेवाएं पाने का हकदार होगा। यदि वह व्यक्ति है-

    1. एक अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य;

    2. संविधान के अनुच्छेद २३ में वर्णित मानव दुर्व्यवहार/बेगार क शिकार एक व्यक्ति;

    3. एक महिला अथवा बच्चा;

    4. दिव्यांग अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ एक व्यक्ति;

    5. सामूहिक आपदा, जातीय हिंसा, जातीय अत्याचार, बाढ़, सूखा, भूकंप या औद्योगिक आपदा का शिकार याकि अवांछित अनचाही जैसी आपदाओं का शिकार हुआ एक व्यक्ति;

    6. एक औद्योगिक कर्मकार;

    7. हिरासत में, जिसमें कारागार/जेल, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, १९५६ की धारा २ के खंड (जी) के अर्थ में एक सुरक्षात्मक गृह में हिरासत या किशोर न्याय अधिनियम, १९८६ की धारा २ के खंड (आइ) के अर्थ में एक किशोर गृह में हिरासत या मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, १९८७ की धारा २ के खंड (जी) के अर्थ में मनोरोग अस्पताल अथवा मनोरोग नर्सिंग होम (परिचर्या गृह) में हिरासत शामिल है में निरुद्ध व्यक्ति;

    8. ऐसा व्यक्ति, जिसकी सभी स्रोतों से वार्षिक आय ३,००,०००/- रुपये से कम या ऐसी अन्य उच्च राशि जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जा सकती है, प्राप्त करता है, यदि मामला सर्वोच्च न्यायालय के अलावा किसी अन्य अदालत में है;

    9. भूतपूर्व सैनिक;

    10. ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्ति;

    11. वरिष्ठ नागरिक;

    12. एचआईवी/एड्स संक्रमित व्यक्ति;

    नोट: क्रम संख्या (viii) को छोड़कर, क्रम संख्या (i) से (xi) में उल्लिखित व्यक्तियों के लिए कोई आय सीमा नहीं है।

    मध्यस्थता केंद्र

    मध्यस्थता क्या है?:-

    मध्यस्थता एक स्वैच्छिक, पक्ष-केंद्रित और संरचित बातचीत प्रक्रिया है जिसमें एक तटस्थ तीसरा पक्ष विशेष संचार और बातचीत तकनीकों का उपयोग करके पक्षों को अपने विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान करने में सहायता करता है। मध्यस्थता में, पक्षों को यह तय करने का अधिकार होता है कि विवाद का निपटारा करना है या नहीं और किसी भी समझौते की शर्तें क्या होंगी। यद्यपि मध्यस्थ उनके संचार और बातचीत को सुगम बनाता है, पक्षों के पास हमेशा विवाद के परिणाम पर नियंत्रण बना रहता है। मध्यस्थता भी स्वैच्छिक है।

    पक्षों को यह तय करने का अधिकार होता है कि वे विवाद का निपटारा करना चाहते हैं या नहीं और विवाद के निपटारे की शर्तें क्या होंगी। यद्यपि अदालत ने मामले को मध्यस्थता के लिए संदर्भित किया हो या यदि अनुबंध या अधिनियम के तहत मध्यस्थता की आवश्यकता हो, तो समझौता करने का निर्णय और समझौते की शर्तें हमेशा पक्षों के पास ही रहती हैं। आत्मनिर्णय का यह अधिकार मध्यस्थता प्रक्रिया का एक आवश्यक तत्व है। इसके परिणामस्वरूप पक्षों द्वारा स्वयं बनाया गया समझौता होता है और इसलिए, यह उनके लिए स्वीकार्य होता है। मध्यस्थता के परिणाम पर पक्षों का अंतिम नियंत्रण होता है। कोई भी पक्ष मध्यस्थता प्रक्रिया से किसी भी स्तर पर समाप्ति से पहले और बिना कोई कारण बताए वापस ले सकता है।

    अवधारणा:-

    हमारे देश में लंबे समय से मध्यस्थता विवाद निवारण के एक तरीके के रूप में प्रचलित है। 2002 में संशोधित सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 89 ने वैकल्पिक विवाद निवारण अर्थात विवाचन, सुलह, मध्यस्थता और पूर्व-मुकदमा निपटान पद्धतियों के दायरे को खोल दिया है। मध्यस्थता वैकल्पिक विवाद निवारण के प्रभावी और अब प्रसिद्ध तरीकों में से एक है, जो वादियों को ‘मध्यस्थ’ के रूप में जाने जाने वाले तीसरे पक्ष की सहायता से अपने विवादों को स्वैच्छिक और सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने में मदद करती है। मध्यस्थ अपने कौशल से पक्षों को उनके विवादों को सुलझाने में सहायता करता है। मध्यस्थता प्रक्रिया के माध्यम से पक्ष एक न्यायसंगत समाधान पर पहुंचते हैं और हमेशा जीत-जीत की स्थिति में होते हैं। मध्यस्थता प्रक्रिया अनौपचारिक प्रक्रिया होती है जिसमें मध्यस्थ, एक तीसरे पक्ष के रूप में बिना कोई निर्णय लेने या आमतौर पर बिना कोई समाधान लागू किए, पक्षों को विवाद हल करने या लेनदेन की योजना बनाने में मदद करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर स्वैच्छिक, गोपनीय, पारदर्शी और समय और लागत प्रभावी भी होती है। विवाद निवारण की इस तकनीक से पक्ष अपने विवादों को बिना किसी पीड़ा के हल करते हैं और वे अपना बहुमूल्य समय और मुकदमेबाजी के खर्च को भी बचाते हैं।

    मध्यस्थता के लिए उपयुक्त मामले:-

    विभिन्न प्रकृति के लगभग सभी सिविल मामले जिनमें पक्ष मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए सहमत होते हैं, आमतौर पर मध्यस्थता के लिए संदर्भित किए जाने योग्य होते हैं। लेकिन कुछ मामले विशेष रूप से मध्यस्थता के लिए उपयुक्त होते हैं और वे धन की वसूली, किराया, विभाजन, वैवाहिक, श्रम, विशिष्ट निष्पादन, क्षतिपूर्ति, निषेधाज्ञा, घोषणा, जमींदार और किरायेदार के बीच विवाद, चेक अनादरण मामले, मोटर दुर्घटना दावा आदि से संबंधित मामले हैं। उपयुक्त आपराधिक मामलों में धारा ३२० सीआरपीसी के अंतर्गत आने वाले अपराध शामिल हैं।

    मध्यस्थता के लिए मामलों का संदर्भण:-

    मध्यस्थता के मूल सिद्धांतों में से एक यह है कि पक्षों को उनके अधिकारों के बारे में ठीक से सूचित किया जाए और वे समझौतों तक पहुंचने के लिए बातचीत के लिए तैयार हों, जो उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं। मध्यस्थता में, सफलता की कुंजी न्यायाधीशों द्वारा मध्यस्थता के लिए उपयुक्त मामलों का संदर्भण करने पर निर्भर करती है। संदर्भण न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्या समझौते के तत्व मौजूद हैं, तभी किसी मामले को मध्यस्थता के लिए संदर्भित किया जाना चाहिए।

    मध्यस्थता के लिए संदर्भण का चरण:-

    जब भी न्यायालय को ऐसा प्रतीत होता है कि समझौते के तत्व मौजूद हैं, तो न्यायाधीश मामले को मध्यस्थता के लिए संदर्भित कर सकता है और जब भी दोनों पक्ष इसे चाहते हैं, वे मध्यस्थता के लिए संदर्भण मांग कर सकते हैं।

    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जि०वि०से०प्रा०), चमोली के अधीन जिला चमोली में अधिवक्ता-मध्यस्थों की सूची
    क्रमांक अधिवक्ता-मध्यस्थ का नाम संपर्क संख्या ई-मेल पता कार्यक्षेत्र स्थान
    1. श्री कुलदीप सिंह नेगी 8755802193 negi25801[at]gmail[dot]com चमोली-गोपेश्वर
    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जि०वि०से०प्रा०), चमोली के अधीन जिला चमोली में रिटेनर अधिवक्ताओं की सूची
    क्रमांक रिटेनर अधिवक्ता का नाम संपर्क संख्या ई-मेल पता कार्यक्षेत्र स्थान
    1. श्रीमती रैजा चौधरी 7895018854 raijachaudhary[at]gmail[dot]com चमोली-गोपेश्वर
    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जि०वि०से०प्रा०), चमोली के अधीन विधिक सहायता रक्षा परार्शदाता अधिवक्ता (एल०ए०डी०सी०) कार्यालय में मुख्य विधिक सहायता रक्षा परामर्शदाता अधिवक्ताओं एवं सहायक विधिक सहायता रक्षा परामर्शदाता अधिवक्ताओं (‘न्याय रक्षक:न्याय का रक्षक’) की सूची
    क्रमांक मुख्य विधिक सहायता रक्षा परामर्शदाता अधिवक्ता एवं सहायक विधिक सहायता रक्षा परामर्शदाता अधिवक्ता का नाम संपर्क संख्या ई-मेल पता कार्यक्षेत्र स्थान
    1.

    श्री समीर बहुगुणा

    (मुख्य विधिक सहायता रक्षा परामर्शदाता अधिवक्ता)

    8755673204 samirbahuguna[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा० चमोली के अंतर्गत एल०ए०डी०सी० कार्यालय
    2.

    सुश्री अंजुम

    (सहायक विधिक सहायता रक्षा परामर्शदाता अधिवक्ता)

    9259182043 advanjumdilshad2043[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा० चमोली के अंतर्गत एल०ए०डी०सी० कार्यालय
    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जि०वि०से०प्रा०), चमोली के अधीन जिला चमोली में पैनल अधिवक्ताओं की सूची
    क्रमांक पैनल अधिवक्ता का नाम संपर्क संख्या ई-मेल पता कार्यक्षेत्र स्थान
    1. श्री शंकर सिंह मनराल 9897197646 shankarsmanaral[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    2. श्री ज्ञानेंद्र खंतवाल 9760379013 gyanendrkhantwal1957[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    3. श्रीमती रैजा चौधरी 7895018854 raijachaudhary[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    4. श्री नवनीत डिमरी 7060570095 alpineassociatesuk[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, जोशीमठ
    5. श्री अरुण कुमार शाह 9690839084 arunkumarshah65[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, जोशीमठ
    6. श्री संजय हटवाल 9997686829 sanjayhatwal1962[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, कर्णप्रयाग
    7. श्री सतीश चंद्र गैरोला 9411355602 satish.gairola72[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, कर्णप्रयाग
    8. श्री अनिल भारद्वाज 9456390068 anil86bhardwaj[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, कर्णप्रयाग
    9. श्री देवेंद्र सिंह राणा 7830063779 singhdevendarrana[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, पोखरी
    10. श्री ललित मोहन मिश्रा 9634781110 lawyerslalitmishra[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, थराली
    11. श्री कुंवर सिंह बिष्ट 7409410023 k.s.bisht1967[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, गैरसैंण
    12. श्री नवल किशोर 8650580595 navalk13[at]gmail[dot]com तह०वि०से०स०, गैरसैंण
    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जि०वि०से०प्रा०), चमोली के अधीन जिला चमोली में प्रो-बोनो अधिवक्ताओं की सूची
    क्रमांक पैनल वकील का नाम संपर्क संख्या ई-मेल पता कार्यक्षेत्र स्थान
    1. श्री प्रकाश सिंह रावत 9411506128 prakash.advgpr[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    2. श्री मोहन प्रसाद पंत 7895129674 mohanpantadvocate[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    3. श्री दिलवर सिंह फरस्वाण 8979016245 dilwars571[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    4. श्री विनोद सिंह नेगी 8755951066 vinodsinghnegi1986[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    5. श्री बीरेंद्र सिंह अशवाल 7995735585 biruaswal1234[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    6. श्रीमती गीता बिष्ट 9760529877 geetabisht9760[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    7. श्री मनोज भट्ट 9412964390 manojbhattadv[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    8. श्री भुवन चंद्र पंत 8920977171 NA जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    9. श्री रघुनाथ सिंह बिष्ट 9412912817 raghubishtadv81gpr[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली
    10. श्री जयेन्द्र सिंह झिंकवान 9997006437 jayindrajhinkwan1111[at]gmail[dot]com जि०वि०से०प्रा०, चमोली